(The Blog is reverently for all the seekers of truth, lovers of wisdom and to share the Hindu Dharma with others on the spiritual path and also this is purely a non-commercial blog)
Shriramraksha stotra ke nitya pathan se kya labh hota hai? (Hindi Article)
१. श्रीरामनवमी
श्री विष्णुके सातवें अवतार श्रीरामके जन्म प्रीत्यर्थ श्री रामनवमी मनाते हैं । चैत्र शुक्ल नवमीको रामनवमी कहते हैं । इस वर्ष रामनवमी ३ अप्रैलको है । अनेक राममंदिरोंमें चैत्र शुक्ल प्रतिपदासे लेकर नौ दिनतक यह उत्सव मनाया जाता है । रामायणके पारायण, कथाकीर्तन तथा राममूर्तिको विविध शृंगार कर, यह उत्सव मनाया जाता है । नवमीकी दोपहरको रामजन्मका कीर्तन होता है । मध्यान्हकालमें, कुंची (छोटे बच्चेके सिरपर बांधा जानेवाला एक वस्त्र । यह वस्त्र पीठतक होता है ।) धारण किया हुआ एक नारियल पालनेमें रखकर उस पालनेको हिलाते हैं व भक्तगण उसपर गुलाल तथा फूलोंका वर्षाव करते हैं । कुछ स्थानोंपर पालनेमें नारियलकी अपेक्षा श्रीरामकी मूर्ति रखी जाती है । इस प्रसंगपर श्रीरामजन्मके गीत गाए जाते हैं । उसके उपरांत प्रभु श्रीरामके मूर्तिकी पूजा करते हैं व प्रसादके रूपमें सोंठ देते हैं । कुछ स्थानोंपर महाप्रसाद भी देते हैं । इस दिन प्रभु श्रीरामका व्रत करनेसे सर्व व्रतोंका फल प्राप्त होता है तथा सर्व पापोंका क्षालन होकर अंतमें उत्तम लोककी प्राप्ति होती है ।२. श्रीरामरक्षास्तोत्रका पाठ
जिस स्तोत्रका पाठ करनेवालोंका श्रीरामद्वारा रक्षण होता है, वह स्तोत्र है श्रीरामरक्षास्तोत्र । भगवान शंकरने बुधकौशिक ऋषिको स्वप्नमें दर्शन देकर, उन्हें रामरक्षा सुनाई और प्रात:काल उठनेपर उन्होंने वह लिख ली । यह स्तोत्र संस्कृत भाषामें है । इस स्तोत्रके नित्य पाठसे घरकी सर्व पीडा व भूतबाधा भी दूर होती है । जो इस स्तोत्रका पाठ करेगा वह दीर्घायु, सुखी, संततिवान, विजयी तथा विनयसंपन्न होगा', ऐसी फलश्रुति इस स्तोत्रमें बताई गई है ।इसके अतिरिक्त इस स्तोत्रमें श्रीरामचंद्रका यथार्थ वर्णन, रामायणकी रूपरेखा, रामवंदन, रामभक्त स्तुति, पूर्वजोंको वंदन व उनकी स्तुति, रामनामकी महिमा इत्यादि विषय समाविष्ट हैं ।
३. श्रीरामनवमीका आध्यात्मिक महत्त्व
किसी भी देवता व अवतारों की जयंतीपर उनका तत्त्व पृथ्वीपर अधिक मात्रामें कार्यरत होता है । श्रीरामनवमीको श्रीरामतत्त्व अन्य दिनोंकी अपेक्षा १००० गुना कार्यरत होता है । श्रीराम नवमीपर `श्रीराम जय राम जय जय राम ।' नामजप व श्रीरामकी भावपूर्ण उपासनासे श्रीरामतत्त्वका अधिकाधिक लाभ होता है ।४. रामायण
`समस्य अयनं रामायणम् ।' अयनका अर्थ है जाना, गति, मार्ग इत्यादि । जो परब्रह्म परमात्मारूप श्रीरामकी ओर ले जाती है, उसतक पहुंचनेके लिए जो प्रोत्साहित करती है अर्थात् गति देती है, जीवनका सच्चा मार्ग दर्शाती है, वही `रामायण' है ।४.१ कैकेयीने एक वरसे रामके लिए चौदह वर्षका वनवास व दूसरे वरसे भरतके लिए राज्य क्यों मांगा ?
भावार्थ : श्रावणकुमारके दादा धौम्य ऋषि थे व उसके माता-पिता रत्नावली व रत्नऋषि थे । रत्नऋषि नंदिग्रामके राजा अश्वपतिके राजपुरोहित थे । अश्वपति राजाकी कन्याका नाम कैकेयी था । रत्नऋषिने कैकेयीको सभी शास्त्र सिखाए और यह बताया कि यदि दशरथकी संतान हुई, तो वह संतान राजगद्दीपर नहीं बैठ पाएगी अथवा दशरथकी मृत्युके पश्चात् यदि चौदह वर्षके दौरान राजसिंहासनपर कोई संतान बैठ भी गई, तो रघुवंश नष्ट हो जाएगा । ऐसी होनीको टालने हेतु, आगे चलकर वसिष्ठ ऋषिने कैकेयीको दशरथसे दो वर मांगनेके लिए कहा । उनमेंसे एक वरसे उन्होंने रामको चौदह वर्षतक ही वनवास भेजा व दूसरे वरसे भरतको राज्य देनेके लिए कहा । उन्हें ज्ञात था कि रामके रहते भरत राजा बनना स्वीकार नहीं करेंगे यानी राजसिंहासनपर नहीं बैठेंगे । वसिष्ठ ऋषिके कहनेपर ही भरतने सिंहासनपर रामकी प्रतिमाकी अपेक्षा उनकी चरणपादुका स्थापित की । यदि प्रतिमा स्थापित की होती, तो शब्द, स्पर्श, रूप, रस व गंध एकत्रित होनेके नियमसे जो परिणाम रामके सिंहासनपर बैठनेसे होता, वही उनकी प्रतिमा स्थापित करनेसे भी होता ।५. रामराज्य
ऐसा नहीं कि, केवल श्रीराम ही सात्त्विक थे, अपितु प्रजा भी सात्त्विक थी; इसीलिए रामराज्यमें श्रीरामके दरबारमें एक भी शिकायत नहीं आई ।पंचज्ञानेंद्रिय, पंचकर्मेंद्रिय, मन, चित्त, बुद्धि व अहंकारपर रामका (आत्मारामका) राज्य होना ही खरा रामराज्य है ।
६. प्रभु श्रीरामकी उपासनाके कुछ महत्त्वपूर्ण चरण
उपासनाकी कृति
|
कृति कैसे करें?
|
१. श्रीरामपूजनसे पूर्व उपासक स्वयंको कौनसा तिलक कैसे लगाए? |
विष्णु समान खडी दो रेखाओंका अथवा भरा
हुआ खडा तिलक मध्यमासे लगाए । |
२. श्रीरामको चंदन किस उंगलीसे लगाए?
|
अनामिकासे
|
३. फूल चढाना
|
|
अ. फूल कौनसे चढाएं?
|
जाही
|
आ. संख्या कितनी हो?
|
चार अथवा चार गुना
|
इ. फूल चढानेकी पद्घति क्या हो?
|
फूलोंका डंठल देवताकी ओर कर चढाएं ।
|
ई. फूल कौनसे आकारमें चढाएं ?
|
लंबगोलाकार (भरा हुआ अथवा खोखला)
|
४. उदबत्तीसे आरती उतारना
|
|
अ. तारक उपासनाके लिए
किस गंधकी उदबत्ती? |
चंदन, केवडा, चंपा, चमेली,
जाही व अंबर |
आ. मारक उपासनाके लिए
किस गंधकी उदबत्ती? |
हीना व दरबार
|
इ. संख्या कितनी हो?
|
दो
|
ई. उतारनेकी पद्धति
क्या हो? |
दाहिने हाथकी तर्जनी व अंगूठेमें पकडकर
घडीकी सुईयोंकी दिशामें पूर्ण गोलाकार पद्घतिसे तीन बार घुमाकर उतारें । |
५. इत्र किस गंधका अर्पण करें?
|
जाही
|
६. श्रीरामकी कितनी परिक्रमा करें?
|
कमसे कम तीन अथवा तीन गुना
|
Why is Spirituality classified as a science?
1. Spiritual Science (adhyaatm shastra)
1.1 Introduction
Spiritual Science is an important and indispensable part of a person’s life. The beauty of spiritual science is that, it is useful at any time and any phase of person’s life. This topic is discussed in society through various mediums such as: spiritual lectures, work of spiritual institutions, holy books on this subject, etc. Therefore everybody has heard this word at some point or other in their life. However there are lot of misconceptions about this subject. They don’t understand that like modern science, spiritual science also can prove itself again and again!Spiritual science is known as subtle science. Subtle means something which is beyond our five senses, mind and intellect. If common man tries to understand this subtle concept via intellect, then it will be more easy for him to understand this subject more clearly.
1.2 What is Spiritual Science (adhyaatm shastra)?
If we ask ourselves ‘what is the most invaluable gift given by the Sanatan Hindu Dharma to the world?’ Then only one thing comes into mind and that is ‘spirituality / (adhyaatm).’ Despite of this the truth, approximately 99% of the people are not aware of the real meaning of ‘spirituality.’Definition: The word Adhyatma (spirituality) consists of two words adhi and atman. Here ‘adhi’ means, in relation to. Thus Adhyatma means in relation to soul. ‘who am I ?’ , ‘where have I come from?’ , ‘what are the features of Atma?’ . Answers to such questions and information lie in the spiritual science (Adhyaatma ).
1.3 Why is Spirituality classified as a science?
Some people might have a question, why spirituality (Adhyaatm), is classified as a science (shastra)? Any theory which can be proven time and again, is classed as science. Shastra means science. Just as theories in chemistry, physics, and medical science etc can be proven again and again. To site an example; ‘oxygen supports combustion’. This was proven decades ago and can be still proved today. Similarly, everything that comes under Adhyaatm Shastra (spiritual science), can be proven time and again.Any science; like chemistry, physics etc.; has two important aspects; one is theory and other is practical. And these have to be clearly understood. Similarly, Spiritual science has theory and practical aspect. Hence, to have a complete understanding of this science; the theory and practical aspect need to be studied in depth.
Practical aspect of spirituality is called sadhana
In spiritual science, putting into practice in day today life, the theoretical aspect is Sadhana. Adhyaatm is the ultimate science.
Adhyaatm can be also described by the word ‘Paramarth’. Paramarth is made of two words: Param + Arth. Meaning, getting enlightned, about the ultimate truth. Adhyaatm (spiritual science), gives real knowledge about Ishwar.
In Adhyatma the efforts undertaken to merge with God or experiencing true happiness is called sadhana.
Om Tat Sat
(Continued...)
(Continued...)
(My humble
salutations to Sanatan Sanstha and Hindu Jagruti for the collection)
(The Blog is reverently for all the seekers of truth,
lovers of wisdom and to share the Hindu Dharma with others on the
spiritual path and also this is purely a non-commercial blog)
0 comments:
Post a Comment